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वर्तमान समय में बडी प्रचंडता के साथ उठने लगी हैं सूर्य की ज्वालाएं! भले ही ये ज्वालाएं मुनष्य के लिये
Read Moreवर्तमान समय में बडी प्रचंडता के साथ उठने लगी हैं सूर्य की ज्वालाएं! भले ही ये ज्वालाएं मुनष्य के लिये
Read Moreझलक एक दे दो चले जायेंगेंइन कूंचो में फिर ना हम आएंगे आखिरी एक सावन बरस जाने दोबस यूँ ही
Read Moreरोशन गलियां सारी हैं, फिर भी कोई अंधेराजो राह दिखाये जीने की, रहनुमा वही लुटेरा ऐसे रात सिमट जाती, बेनूर
Read Moreकाम काज सब छोंडो भाईऋतु देखो मतदान की आई आओ छोटकी बड़की आओलोक तंत्र मजबूत बनाओदादा काका तुम सभी चलोघड़ी
Read Moreएक पत्रकार जलती हुयी उस मोमबत्ती के समान होता है जो खुद जलकर अंधेरे को चीरने के लिये एक रोशनी
Read Moreकलयुग कहें या आधुनिक युग इस युग में इंसानों की संवेदनहीनता धीरे धीरे उजागर हो रही है इसी वजह से
Read Moreवर्तमान समय में देश की धरती को सियासी चौसर बना कर छोंड दिया गया हैए सियासत में ऐसे ऐसे दांव
Read Moreमहफिलों का यहां पर, हाल मैं खूब जानता हूंभीड़ की न शक्ल कोई, हाल मैं खूब जानता हूं हर तरफ
Read Moreअब सांझ नही होती, बस रात होती हैचरागों की चौखट से, न बात होती है अंधेरे से उजाले का, जो
Read Moreबेचैनी तभी तक, जब तक नजर आये ओझल हुए जब से, ओ न इधर आये ख्यालों के खीसे से, यहाँ
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