नागमणि –एक रहस्य (भाग –५ )
गुरूजी की बात अब मेरे समझ में आ रही थी । ‘ वाकई रात के अँधेरे में हम वहां मंदिर
Read Moreगुरूजी की बात अब मेरे समझ में आ रही थी । ‘ वाकई रात के अँधेरे में हम वहां मंदिर
Read Moreदुसरे दिन गुरूजी निर्धारित समय पर हमारे घर पर आ गए । घर पर जलपान वगैरह कराकर हम साथ में
Read Moreउस दिन अमरनाथ जी से हमारी मुलाकात संक्षिप्त ही रही थी । चाय नाश्ता वगैरह करके उस दिन सभी चले
Read Moreएक पल को मैंने अपनी हथेली पर रखा वह मणि देखा और अगले ही पल उस आदिवासी के कहे मुताबिक
Read Moreबात लगभग 1993 के आखिरी दिनों की है । एक शाम मैं अपने एक मित्र की दुकान पर यूँ ही
Read Moreमय्यत सजी थी उसकी सब लोग रो रहे थे अश्कों से अपनी उसके कफ़न भीगो रहे थे वह दोस्त था
Read Moreहाँ ! तुमने ठीक कहा ! मैं वैश्या हूँ । लेकिन क्या कभी तुमने यह भी सोचा है कि हम
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