आजादी भाग –४०
बच्चों की बात सुनकर विनोद को राहुल की समझदारी का अहसास हुआ और साथ ही यह भी अहसास हुआ कि
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Read Moreऐ जिंदगी बता तेरे कितने हैं रूप कभी छांव तो कभी लगती है धुप था मासूम सा बचपन थी मैया
Read Moreदारोगा दयाल एक कुशल चालक भी था और इस समय वह अपनी पूरी कुशलता से जीप को उसकी क्षमता के
Read Moreदरोगा दयाल ने पीछे मुड़कर देखा और वह दृश्य देखकर वह भी आश्चर्यचकित रह गया । पल भर के लिए
Read Moreकमाल के हाथों से लाइसेंस लेकर उसके पन्ने पलटते हुए दयाल ने सरसरी निगाहों से उसका निरिक्षण करते हुए उसे
Read More( रचना में समाविष्ट मान्यवरों से क्षमायाचना सहित पेश है होली के कुछ रंग ) जोगीरा सा रा रा रा
Read Moreरवि अपने पिताजी के साथ बाजार से होकर गुजर रहा था । फलों की दुकानों पर सजे पके फल देखकर
Read Moreटेम्पो के करीब पहुंचा रामसहाय उस के करीब किसी को न पाकर टेम्पो के पीछे की तरफ एक डंडा फटकारते
Read Moreपंडित भरोसे लाल अपने आपको बड़ा ही सटीक भविष्यवक्ता बताते थे । उनका दावा था कि उनकी बताई भविष्यवाणियाँ शत
Read Moreअब कुछ कहने की बारी राहुल की थी ” हाँ ! तो सच ये है अंकल ! कि हमने चोरी
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