मुक्तक
दिल तो सजना का अटका चूड़ियों में खनक ऐसी कहाँ जो है चूड़ियों में अरमानों से बढ़ता अनुराग हर पल
Read Moreगया ज़माना सुनो उस चूल्हे – चक्की का अभी तभी तो सुनो अभी ही , चूल्हा यही उदास है वो
Read Moreविषय अच्छा है व हमारी परंपरागत चली आ रही संस्कृति से भी जुड़ा है, जो संयुक्त परिवार में बुज़ुर्गो के
Read Moreरोते को हँसाना , रूठे को मनाना मरुथल में परिश्रम कर फूल खिलाना दीनों की सहायता करना बुज़ुर्गो का हाथ
Read Moreराधा कान्हा ही जपे , कहाँ गया चितचोर । मोहन को ढूँढ़ूँ कहाँ , हो जायेगी भोर ।। कुंज गली
Read Moreसागर की उत्ताल लहरें जाने कहाँ जाकर ठहरें जगा मन में सदा उमंगें , लिए चंचलता ये लहरें । स्वच्छंद
Read Moreरोज़ – रोज़ करो योग , भागें दूर सभी रोग , तन मन रहे खुश , ताज़गी ले आइये ।
Read Moreमीठी बोली, आज से बोलनी है। जो भी बोलो, बात तो तोलनी है।। आओ आओ, आज तो गीत गायें। खेलें
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