ग़ज़ल
महफ़िल ग़ज़ल की सजाना चाहिए तब ग़ज़ल को रूह से गाना चाहिए रोशनी के लिए ही क़ुर्बान हो शम’अ मानिंद
Read Moreक्यों अंदर घुट रहा है बचपन मासूम तड़पता बचपन क्या कुसूर था बचपन का कब खेलेगा बाहर बचपन ? कब
Read Moreगया ज़माना सुनो उस चूल्हे – चक्की का अभी तभी तो सुनो अभी ही , चूल्हा यही उदास है वो
Read Moreविषय अच्छा है व हमारी परंपरागत चली आ रही संस्कृति से भी जुड़ा है, जो संयुक्त परिवार में बुज़ुर्गो के
Read Moreरोते को हँसाना , रूठे को मनाना मरुथल में परिश्रम कर फूल खिलाना दीनों की सहायता करना बुज़ुर्गो का हाथ
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