प्रलय आने में अब देर नहीं
बनी धरती अंगाराहर तरफ धधक रही ज्वालाझुलस रहा भू का अंर्तमनखो रही पृथ्वी, अपना संतुलनपर्यावरण में फैला जहरप्रदूषण का टूट
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Read Moreमहिला दिवस पर खास मेरी बेटी के लिए यह रचना- मेरी नन्हीं सी , कली हो तुम जीतीं हूँ जिसके
Read Moreफ़रेब जिंदगी इक फ़साना | सच तो है सिर्फ, मृत्यु का आना || अजर-अमर न कोई जहां में | रो
Read Moreअजीब आरजू , जिंदगी की । कैसी फितरत है , ये ! रचना ।। सीख चुके , दर्द से उभर
Read Moreकट गए तब , हर रिश्तों से । हर दिल मे , जब फरेब देखा ।। रिश्तों के मायने ,
Read Moreखुबसूरत रचना का , गुनाह ही क्या था ? सुलझी थी , वो ! मगर किसी ने समझा न था
Read Moreउन रंगीन महफिँलो की , नुमाइश बनके रह गई औरत । मिलती आज , हर गली नुक्कड़ चौराहेँ पे तबायफ
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