कविता

कविता : जिंदगी एक पहेली

अजीब आरजू , जिंदगी की ।
कैसी फितरत है , ये ! रचना ।।

सीख चुके , दर्द से उभर के ।
जिंदगी को , हम अब जीना ।।

न सुलझी , किताब जिंदगी की ।
लिख -लिख के हार गई  रचना ।।

सुलझ कर भी , उलझी ही रही ।
जिंदगी है अजीब पहेली रचना ।।

रीना सिंह गहलौत 'रचना'

कवयित्री नई दिल्ली