वैश्विक संकट
छा गई है धुंध जग में, आ गई है आपदा| हर रही जीवन के सब को, ना काम आई संपदा|
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Read Moreसहनशीलता की प्रतिमूर्ति, त्याग क्षमा गुणों की धात्री सृजन सृष्टि की जो परिपालक, वह स्त्री है तो जीवन है करती
Read Moreमधुर मिलन की आस लिए, मधुमास की राह निहार रही| कभी कलियों में कभी गलियों में, ऋतुराज तुझे मैं पुकार
Read Moreप्यार का आया बसंत, खिल गए हैं दिग दिगंत| खेतों में सरसों की कलियां, लेकर आई फिर बसंत| प्यार की
Read Moreरूपवती गुणवती सुशील और चंचल अदाओं से परिपूर्ण स्नेहा को देखते ही मयंक ने शादी के लिए हां कर दिया
Read Moreजिनसे घर की शान है, जो घर की पहचान है करो कभी ना उन्हें उपेक्षित, उनसे घर का मान है
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