गीत “‘रूप’ बदलता जाता है”
मोम कभी हो जाता है, तो पत्थर भी बन जाता है।दिल तो है मतवाला गिरगिट, ‘रूप’ बदलता जाता है।।—कभी किसी
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Read Moreगीत “आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा”—रौशनी का सिलसिला कैसे चलेगा?आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा?—कामनाओं का प्रबल सैलाब जब
Read Moreकहाँ चले ओ बन्दर मामा,मामी जी को साथ लिए।इतने सुन्दर वस्त्र आपको,किसने हैं उपहार किये।।—हमको ये आभास हो रहा,शादी आज
Read Moreखिल उठे हैं बाग-वन मधुमास सबको भा रहा।होलिका के बाद में नव वर्ष चलकर आ रहा।।—वृक्ष सब छोटे-बड़े नव पल्लवों
Read Moreसोलह दोहे “शब्द बहुत अनमोल”—जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान।छन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान।1।—भरा पिटारा ज्ञान
Read Moreदेता है ऋतुराज निमन्त्रण,तन-मन का शृंगार करो।पतझड़ की मारी बगिया में,फिर से नवल निखार भरो।। नये पंख पक्षी पाते हैं,नवपल्लव
Read Moreमन में आशायें लेकर के,आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे।मूक-इशारों को लेकर के,आया है विश्वास, चलो होली खेलेंगे।।—मन-उपवन में सुन्दर-सुन्दर,
Read Moreगीत “कंचन का गलियारा है”—वासन्ती परिधान पहनकर, मौसम आया प्यारा है।कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है।।—तितली सुन्दर पंख
Read Moreबाबा नागार्जुन की इतनी स्मृतियाँ मेरे मन और मस्तिष्क में भरी पड़ी हैं कि एक संस्मरण लिखता हूँ तो दूसरा
Read Moreसंस्मरण “अच्छे साहित्यकार नहीं अच्छे व्यक्ति बनिए”—(चित्र में- (बालक) मेरा छोटा पुत्र विनीत, मेरे कन्धे पर हाथ रखे बाबा नागार्जुन
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