मधुमास सबको भा रहा
खिल उठे हैं बाग-वन मधुमास सबको भा रहा।होलिका के बाद में नव वर्ष चलकर आ रहा।।—वृक्ष सब छोटे-बड़े नव पल्लवों
Read Moreखिल उठे हैं बाग-वन मधुमास सबको भा रहा।होलिका के बाद में नव वर्ष चलकर आ रहा।।—वृक्ष सब छोटे-बड़े नव पल्लवों
Read Moreसोलह दोहे “शब्द बहुत अनमोल”—जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान।छन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान।1।—भरा पिटारा ज्ञान
Read Moreदेता है ऋतुराज निमन्त्रण,तन-मन का शृंगार करो।पतझड़ की मारी बगिया में,फिर से नवल निखार भरो।। नये पंख पक्षी पाते हैं,नवपल्लव
Read Moreमन में आशायें लेकर के,आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे।मूक-इशारों को लेकर के,आया है विश्वास, चलो होली खेलेंगे।।—मन-उपवन में सुन्दर-सुन्दर,
Read Moreगीत “कंचन का गलियारा है”—वासन्ती परिधान पहनकर, मौसम आया प्यारा है।कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है।।—तितली सुन्दर पंख
Read Moreबाबा नागार्जुन की इतनी स्मृतियाँ मेरे मन और मस्तिष्क में भरी पड़ी हैं कि एक संस्मरण लिखता हूँ तो दूसरा
Read Moreसंस्मरण “अच्छे साहित्यकार नहीं अच्छे व्यक्ति बनिए”—(चित्र में- (बालक) मेरा छोटा पुत्र विनीत, मेरे कन्धे पर हाथ रखे बाबा नागार्जुन
Read Moreहोश गुम हैं, जोश है मन में भरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—चल पड़ा है दौर कैसा, हर बशर मगरूर
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर।ठेले पर बिकते हैं बेर।।—रहते हैं काँटों के संग।इनके हैं मनमोहक रंग।।—जो हरियल हैं, वे कच्चे
Read Moreजो मेरे मन को भायेगा,उस पर मैं कलम चलाऊँगा।दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,आगे को बढ़ता जाऊँगा।।—मैं कभी वक्र होकर घूमूँ,हो जाऊँ
Read More