“गुलशन का खिलता गलियारा”
रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा, अच्छा लगता है।जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता है।।—उपवन में चहकीं कलियाँ, जब महक लुटातीं हैं,मधुबन में
Read Moreरूप बसन्ती प्यारा-प्यारा, अच्छा लगता है।जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता है।।—उपवन में चहकीं कलियाँ, जब महक लुटातीं हैं,मधुबन में
Read Moreथोड़े दिन में वन-उपवन के,वृक्ष सभी बौरायेंगे।अपनी बगिया के बिरुओं मेंफूल बसन्ती आयेंगे।।—सेमल के तो महावृक्ष ने,नया “रूप” अब दिखलाया।पत्ते
Read Moreकुहरा नभ पर देख कर, सहमा हुआ पलाश।कैसे आयेगा भला, उपवन में मधुमास।—धूप धरा पर है नहीं, ठिठुर रहा है
Read Moreचहक उठे हैं खेत-बगीचे, धरती ने सिंगार सजाया।बिछे हुए हैं हरे गलीचे, सरसों ने पीताम्बर पाया।।—निर्मल नदी-सरोवर लगते, कोयल-कागा पंख
Read Moreदाल-भात अच्छे लगें, कंकड़ देते कष्ट।भोजन के आनन्द को, कर देते है नष्ट।।—ध्यान लगाकर बीनिये, कंकड़ और कबाड़।प्राणवायु मिल जायेगी,
Read Moreआया है उल्लास का, उत्तरायणी पर्व।झूम रहे आनन्द में, सुर-मानव-गन्धर्व।१।—जल में डुबकी लगाकर, पावन करो शरीर।नदियों में बहता यहाँ, पावन
Read Moreपाई है कुन्दन कुसुमों नेकुमुद-कमलिनी जैसी काया।आकर सबसे पहलेसेमल ने ऋतुराज सजाया।। महावृक्ष है सेमल का यह,खिली हुई है डाली-डाली।हरे-हरे
Read Moreजल में-थल में, नीलगगन में,छाया है देखो उजियारा।सबकी आँखों में सजता है,रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा।।—कलियाँ चहक रही उपवन में,गलियाँ महक रही
Read Moreमक्कारों से मक्कारी हो, गद्दारों से गद्दारी।तभी सलामत रह पायेगी, खुद्दारों की खुद्दारी।। दया उन्हीं पर दिखलाओ, जो दिल से
Read Moreलो साल पुराना बीत गया।अब रचो सुखनवर गीत नया।।—फिरकों में है इन्सान बँटा,कुछ अकस्मात् अटपटा घटा।अब गली-गाँव का भिक्षुक भी,अपनी
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