कविता मौन है
इन दिनों मेरी कविता मौन है,क्या पता इसके पीछे कौन है।शब्द, भाव, विचार के बीचअंतरद्वन्द चल रहा है,झरने की तरह
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Read Moreमहानगर में अधिकतर कामकाजी लोगों के लिए घर के काम करने के लिए श्रमिक मिलना बहुत कठिन होता है। घर
Read Moreसपनों को बुनने में उनको चुनने में बहुत खास बनने में,,, वक्त तो लगता है,!
Read Moreजैसे-जैसे आधुनिकता हम सभी पर हावी होती जा रही है ,वैसे -वैसे हम परिवार से दूर और बाहरी आभासी दुनिया
Read Moreबचपन में एक कहानी पढ़ी थी।एक नगर का नाम था अंधेर नगरी और राजा का नाम था चौपट । हर वस्तु
Read Moreहर बार नई योजना बनाते हैं, फिर किसी कारणवश आगे टाल जाते हैं। कई जिम्मेदारियों तले, अपनी खुशियां ही भूल
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