कविता
मैं बहुत दूर निकल आई हूँ मुझे रोकने की कोशिश न कर। परवाह नहीं किसी की अब न है मुझे
Read Moreसपनों को बुनने में उनको चुनने में बहुत खास बनने में,,, वक्त तो लगता है,!
Read Moreजैसे-जैसे आधुनिकता हम सभी पर हावी होती जा रही है ,वैसे -वैसे हम परिवार से दूर और बाहरी आभासी दुनिया
Read Moreबचपन में एक कहानी पढ़ी थी।एक नगर का नाम था अंधेर नगरी और राजा का नाम था चौपट । हर वस्तु
Read Moreहर बार नई योजना बनाते हैं, फिर किसी कारणवश आगे टाल जाते हैं। कई जिम्मेदारियों तले, अपनी खुशियां ही भूल
Read Moreकर दूँगी रंग-रोशन सब कोने आँगन रंगोली से सजाऊँगी द्वार सजाऊँ वन्दनवार से फूलों से घर महकाऊँगी। पल-पल प्रतीक्षित रहेगा
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