बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर
बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर। ये नकाबों का शहर है आईनों की बात न
Read Moreबात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर। ये नकाबों का शहर है आईनों की बात न
Read Moreपंछी मधुरस घोल रहे हैं चहचाहट कर बोल रहे हैं जागो भोर हुई। मंदिर के घंटों बजते हैं दीप आरती
Read Moreफिर निकली कानून की अर्थी, फिर मानवता हार गई। निर्भया तेरी सारी चीखें, सब सिसकी बेकार गई॥ शर्म से पानी
Read Moreइन गुलाबी कोपलों को, मुस्कुराने दीजिये। धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये॥ खिलते फूलों का है मौसम, खिलने दो
Read Moreतू आगाज तो कर अंजाम की मत सोच। नाम में कुछ नही रखा नाम की मत सोच॥ जो तेरा फर्ज
Read Moreफूल चढा कर श्रृद्धा के, बीती बातों की अर्थी पर। बीज हौसलों के बोता हूं, उम्मीदों की धरती पर॥ रोज
Read Moreदर्द में भी मुस्कुराना सीख लो। चेहरे पर चेहरा लगाना सीख लो॥ तुमको रोता देखकर हंसने लगेगें अपनों से आंसू
Read Moreहै आसान बहुत मेरी, हर एक निशानी लौटाना। गर मुमकिन हो तो मेरे, बीते पल भी वापिस लाना॥ माना लौटा
Read Moreइस कदर अब हद से गुजरने लगे हैं लोग। बिन बात के ही मारने मरने लगे हैं लोग॥ अपनी हवस
Read Moreगहरा तम है, कलुषित जन आराध्य हुए पथभ्रष्टक अब निपुण जनो के साध्य हुए। कागा मोती खाये कैसा कलियुग है
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