हास्य व्यंग्य – भीतर की घंटी
बात उन तरुणाई के दिनों की है ,जब मैने शादी के लिए विज्ञापन निकलवाया था क्योंकि उन दिनों मैं “वर” हुआ
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Read Moreउस सरकारी अधिकारी समेत नौ लोगों पर भी मुकदमे की तैयारी चल रही थी। मामला गंभीर होने के साथ, सरकारी
Read Moreत्रेता युग सा लग रहा, अब सारा संसार , वैतरणी है ‘रामलला,’वही करेंगे पार।। मंदिर की स्थापना ,पूजन में है
Read Moreइसी पृष्ठभूमि पर शुरू हो रही है फिर से राजनीतिक यात्राओं का दौर। विशाल रैली और महा रैली भी निकाली
Read Moreगठबंधन के इन संवेदनशील दिनों में देश के प्रति कुछ करने का जज्बा उनके रोम रोम में समाहित हो चुका
Read Moreकैंसर हॉस्पिटल में उस जोकर को देखकर लोग आपस में बात कर रहे थे। उस जोकर को देखकर तो मुझे
Read Moreभीतर सरगम तप रही सांसो में आलाप सूरज अब करने लगा अंगारों का जाप।। धूप अभी ऐसे चुभे जैसे होए
Read Moreलिए तिरंगा आ गया ,भारत का गणतंत्र सारे मजहब एक हैं, फूंक रहा यह मंत्र ।। प्रेम भाव सबसे रखो
Read Moreअभी रात का घना अंधेरा फिर तो वहीं सबेरा होगा झूमेंगे फिर वृक्ष हवा में पंछी का वही बसेरा होगा
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