जीवन पतंग
जीवन की पतंग पतंग के मंजे से कटती ऊँगली से बहते रक्त की धार में बचपन की निकल आई यादों
Read Moreसुनो तिमिर लो आज पुनः मैं कविता दीप जलाता हूँ चलो तुम्हे इस सघन घनन में जीवन छंद सुनाता हूँ!!
Read Moreआज कल शादियों का दौर चल रहा है, शादी…हम भारतीय सामाजिक मानवियों के लिए एक बड़ा कार्य है, दूर दूर
Read Moreमानसून से याद आता है वो मेरा पुराना बस्ता वो गड्ढों का जमा पानी वो बारिश तूफानी वो छाता मजबूत
Read Moreहम यहाँ गधा मजूरी कर रहे हैं घर में कोई विशेष काम नहीं है इसीलिए हमारे लिए विश्राम सहीं है
Read Moreसुबह सुबह बांसुरी बजाकर कृष्ण पंछियों को जगा रहे हैं गायों को जगा रहे हैं पेड़ पौधे फूल बाग़ नदियाँ
Read Moreअभिनेता से नेता हारे, अभिनेता से हारा कानून, न्याय की देवी अंधी है और देश का बेचारा कानून, बड़े दबंग
Read Moreदेख रहा हूँ अभी ये शहर सोया है जागता है तो दौड़ता है अभी सपनों में खोया है रोशनियाँ जल
Read Moreमुझे याद है हम फिल्म “क्वीन” देखकर लौट रहे थे, सभी अपनी अपनी बाइक पर थे! दो दो के ग्रुप
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