इन्द्र का अहंकार
बृजवासियों ने इंद्र का पूजन नहीं किया तो अपने अहंकार में चूर होकर अपना कोप वृन्दावन वासियों पर बरसाने लगा,
Read Moreबृजवासियों ने इंद्र का पूजन नहीं किया तो अपने अहंकार में चूर होकर अपना कोप वृन्दावन वासियों पर बरसाने लगा,
Read Moreफिर ना बंजर भूमि पर अब मैं हल चलाऊंगा धरती माँ की कोख से कोई सीता ना उपजाऊंगा महादेव का
Read Moreसरहद तक आया है जो लौटे ना अपने पैरो पर हमने करना छोड़ दिया है कोई भरोसा गैरों पर वो
Read Moreहमारे घर के पास एक मरियल कुत्ता पड़ा रहता है, अक्सर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठा रहता है.
Read Moreद्रोपदी का चीर हर बार अब तार तार होता है दुशासन बैठे गली गली में दुर्योधन हर द्वार होता है
Read Moreसच्चिदानंदरुपायविश्वोत्पत्यादीहेतवे तापत्यविनाशाय श्री कृष्णाये वयंमह कृष्ण स्वयं प्रेम हैं, “आकर्षणम इति कृष्णम” अर्थात जो आकर्षण है वही कृष्ण हैं, और
Read Moreहुआ यूँ कि संध्या ढली, पंछियोँ की टोली लौट चली , अंबर भी काला पड़ने लगा, पत्ता पत्ता अंधकार के
Read Moreशहर पहुंचकर चौक पर बस रुकी रमेश थैला लेकर, और बैग लटकाए बस से नीचे उतरा, रमेश ने उतरते ही
Read Moreअजय उन दिनों काफी चर्चित लेखक बन चुका था, उसकी रचनायें खासकर उसकी कहानियां, कवितायेँ अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित
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