कविता

**ना रहे पाकिस्तान भू पर………**

सरहद तक आया है जो लौटे ना अपने पैरो पर
हमने करना छोड़ दिया है कोई भरोसा गैरों पर

वो बरसाए हथगोले तो तुम दागो तोपें शान से
विद्रोही को बाहर निकालो अपने हिन्दुस्तान से

वो उजाड़े बस्ती अपनी तो उनके शहर तुम तबाह करो
युद्ध नहीं यज्ञ ये समझो गद्दारों को अब स्वाह करो

तुम गंगा के पुत्र महान सुनो भारत माँ के लाल हो
तुम खुद में शक्ति हो भीषण बढे हुए महाकाल हो

सीनों पर उनके लात रखो और कुचलो उनके अरमानो को
मिटटी में मिला सकते हैं हम लाखों पाकिस्तानो को

तोड़ो उन हाथो को जो उठते हैं माता के ऊपर
विश्व विजयी हो भारत पर रहे न पाकिस्तान भू पर

__________________सौरभ कुमार दुबे

सौरभ कुमार दुबे

सह सम्पादक- जय विजय!!! मैं, स्वयं का परिचय कैसे दूँ? संसार में स्वयं को जान लेना ही जीवन की सबसे बड़ी क्रांति है, किन्तु भौतिक जगत में मुझे सौरभ कुमार दुबे के नाम से जाना जाता है, कवितायें लिखता हूँ, बचपन की खट्टी मीठी यादों के साथ शब्दों का सफ़र शुरू हुआ जो अबतक निरंतर जारी है, भावना के आँचल में संवेदना की ठंडी हवाओं के बीच शब्दों के पंखों को समेटे से कविता के घोसले में रहना मेरे लिए स्वार्गिक आनंद है, जय विजय पत्रिका वह घरौंदा है जिसने मुझ जैसे चूजे को एक आयाम दिया, लोगों से जुड़ने का, जीवन को और गहराई से समझने का, न केवल साहित्य बल्कि जीवन के हर पहलु पर अपार कोष है जय विजय पत्रिका! मैं एल एल बी का छात्र हूँ, वक्ता हूँ, वाद विवाद प्रतियोगिताओं में स्वयम को परख चुका हूँ, राजनीति विज्ञान की भी पढाई कर रहा हूँ, इसके अतिरिक्त योग पर शोध कर एक "सरल योग दिनचर्या" ई बुक का विमोचन करवा चुका हूँ, साथ ही साथ मेरा ई बुक कविता संग्रह "कांपते अक्षर" भी वर्ष २०१३ में आ चुका है! इसके अतिरिक्त एक शून्य हूँ, शून्य के ही ध्यान में लगा हुआ, रमा हुआ और जीवन के अनुभवों को शब्दों में समेटने का साहस करता मैं... सौरभ कुमार!

One thought on “**ना रहे पाकिस्तान भू पर………**

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी भावनाएं !

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