गृहणी
आप क्या करती हैं? बहुत ही सकुचाते हुए कहा कुछ नहीं बस गृहणी हूं| तो आज तय करते हैं क्या
Read Moreशशधर की प्रथम किरण जब पड़ी तेरे आनन पर धरा के चँंहू ओर फैल गयी चमकती सी धवल किरण। देख
Read Moreकुछ नहीं गिला तुझसे जो पाया वह क्या कम है? अब तक जो मुझको मिला वह मुझे अमृत सम है|
Read Moreरह गया है कुछ अनछुआ सा चल उसको टटोलते हैं परत दर परत जिंदगी के हर पन्ने को फिर खोलते
Read Moreअच्छा लगता है तुम्हारा हक जताना हर बात पर बहुत चाहते हो यह बताना ऑफिस जाते वक्त मुझे मुड़ मुड़
Read More“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर: गुरु साक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः” मुझे गर्व है अपने देश
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