गीतिका/ग़ज़ल

छोड़ गए

वो जो गए तो एक निशानी छोड़ गए,
अव्यक्त कितनी सारी कहानी छोड़ गएI
आएंगे वो  हर वक्त अब मेरे ख्वाबों में,
ऐसी कई यादें रूहानी छोड़ गएI
कुछ कहना है उन्हें कहा था ऐसा,
ना जाने वो बात क्यों बतानी छोड़ गएI
लटों  पर मेरे वो  फिराते थे उंगली,
उन उलझी लटों को सुलझानी छोड़ गएI
उन बिन जीना दुश्वार हुआ अब मीरा,
लबों पे वो  अपनी जवानी छोड़ गएI
— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com