कविता

तंबाकू जानलेवा है

तंबाकू का सेवन करना छोड़ो!
यह जानलेवा है,
यह जानते हुए भी! फिर क्यों धूम्रपान करते हो ?
तुम बुद्धिजीवी हो!  अपने भविष्य को उज्जवल बनाओ!
तुम अंधेरों में क्यों रहना पसंद करते हो ?
मैं तुमको ऐसे टूटते हुए नहीं देख सकती,
क्योंकि, मैं चेतना प्रकाश हूंँ ।
तुम्हारी सांसे  मुझसे  जुड़ी हुई हैं,
तुम्हारे साथ मैं भी घुटती हूँ ,
तुमसे घर, पास – पड़ोस समाज भी प्रभावित होता है,
मैं  तुम्हें तड़पते हुए नहीं देख सकती ,
       क्योंकि , मैं दर्पण हूँ।
मैं तुम्हारी सच्ची दोस्त बनकर तुमको समझा रही हूँ ,
तुम्हारी जिंदगी बड़ी खूबसूरत है ,
एक बार लौट कर तो देखो!
तुम्हारे अपने ,तुम्हारी राह देख रहे हैं
मैं  तुम्हें मौत के मुंह में जाते हुए नहीं देख  सकती ,
क्योंकि , मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ।
— चेतना चितेरी

चेतना सिंह 'चितेरी'

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