माँ की लाल चुनरी
घर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,रूप माता की देखो कैसे निखरीशोभे है
Read Moreघर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,रूप माता की देखो कैसे निखरीशोभे है
Read Moreपहले यह दिल मेरा ही था,हम बस मन की सुनते रहे|जब से तुम आ गए हो सखे,ख्वाब सुनहरे बुनते रहे|
Read Moreमहाभारत के श्रेष्ठतम पात्र,वह थे उनके ही ज्येष्ठ भातृ|किया शिशु को प्रवाहित गंगा नदी में,जो थी उनकी और पांडवों की
Read Moreक्यों लिखोगे खत हमको,जब दिल में तेरे हैं हरदम|एहसास में मेरे हर वक्त हो,धड़कन मेरी हो तुम हमदम| दृगों के
Read Moreआज खुद से खुद की मुलाकात करते हैं कुछ जरूरी संग कुछ खास बात करते हैं। तलाशते हैं हम जो
Read Moreबना ली है जब हमने दूरीफिर आड़े ना आए मजबूरी। सामने ना वह आए कभीचाहे कितना भी रहे जरूरी। सम्पूर्णता
Read Moreसुनसान सड़क पर कलेजे से लगाए नवजात शिशु को, चली जा रही थी बेखौफ निडर, ममता की प्रतिमूर्ति शिशु की
Read Moreन जाने वह यह सब कर लेती थी कैसे? तंगी भरे दिनों में भी रख कंधे पर हाथ निकाल देती
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