समकालीन दोहे
दुनिया कैसी हो गई, कैसे हैं अब लोग! पूजा से सब दूर हैं, चाहें केवल भोग!! सेवक बनकर घूमते, पर
Read Moreदुनिया कैसी हो गई, कैसे हैं अब लोग! पूजा से सब दूर हैं, चाहें केवल भोग!! सेवक बनकर घूमते, पर
Read More“तुम तो अपने पति की काबिलियत और उनके गुणों की तारीफ करते हुए नहीं थकती थीं, पर अब क्या हो
Read Moreनौजवान लगता वही,रखता जो उत्साह । यदि तुम में गतिशीलता,तो निश्चित तुम शाह।। कभी नहीं जो हो शिथिल,उसको मिलती राह।
Read Moreशक्ति का आधार मां तू ! ज्ञान का संसार मां तू !मैं लिये अंधियार सँग में, पर सदा उजियार मां
Read More“जब देखो तब मेरी बहू अपने मायके वालों की तरफ दौड़ी पड़ी रहती है।” बुज़ुर्ग निर्मला ने अपनी हमउम्र पड़ौसन
Read Moreअधरों पर तो हास है, पर दिल में तूफान ! सिसक-सिसक दम तोड़ते, बेचारे अरमान !! प्यार,वफ़ा,अपनत्व अब, बिकते हैं
Read More“बेटा अनंत, पिछले महीने तेरे पापा को ज़बरदस्त हार्ट अटैक आया था।” शहर में नौकरी कर रहे अनंत से गांव
Read Moreनया काल है, नया साल है, गीत नया हम गाएंगे । करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे
Read Moreजीवन मुरझाने लगा, ऐसी चली बयार ! स्वारथ मुस्काने लगा, हुआ मोथरा प्यार !! बिकता है अब प्यार नित, बनकर के सामान
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