मुक्तक/दोहा

दोहे – कब आओगे मेघ तुम

कब आओगे मेघ तुम,ये बतला दो आज।
अब तो ला दो नीर तुम,हर्षित करो समाज।।

तपती बस्ती आग से, सूरज का आक्रोश।
कौन कहेगा आज ये, हम पर यह क्यों रोष।।

दया करो अब मेघ तुम, ला दो जल की धार।
यह होगा निश्चित बड़ा, हम सबको उपहार।।

सूखे दिखते सब कुंये, सूखे हैं तालाब।
बरसाकर जल मेघ तुम, दे दो उनको आब।।

दौड़ भाग जब तुम करो,पर इतना हो ध्यान।
कंठ सूख अवरुद्ध हैं,रक्षित करना आन।।

ला दो अब तो मेघ तुम, मतवाली बरसात।
फिर से दिन खुशहाल हों,मदमाती हों रात।।

हे आकाशी देवता,बन जाओ वरदान।
हम सब मिल तब गांयगे,शुभ-मंगल का गान ।

स्तुति-वंदन,है नमन् ,अधरों पर जयगान।
मेघ आप अति ग्रेट हैं,अमर आपकी शान।।

मेघ करो अब आगमन,गा दो नेहिल गीत।
बरसाकर जल आज तुम, बन जाओ मनमीत।।

अभिनंदन है आपका,मेघ पधारो आज।
बूंदों को लाकर धरा,करो दिलों पर राज।।

— प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com