‘नवोदय निर्झरिणी’ ई-पत्रिका का सम्पन्न हुआ विमोचन
मंडला–नवोदय साहित्यिक मंच पर ऑनलाइन होकर सुप्रसिद्ध कवि/लेखक व शासकीय डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो.(डा)शरद नारायण खरे जी ने नवोदय
Read Moreमंडला–नवोदय साहित्यिक मंच पर ऑनलाइन होकर सुप्रसिद्ध कवि/लेखक व शासकीय डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो.(डा)शरद नारायण खरे जी ने नवोदय
Read Moreपिता कह रहा है सुनो,उसके दिल की बात। जीवन पितु का फर्ज़ है,मत समझो सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता
Read Moreनहीं एक दिन मात्र बस, हर दिन माँ के नाम। माँ से ही जीवन मिला,माँ से सब अभिराम।। वसुधा-सी करुणामयी,माँ
Read Moreमानसी और जयन्त बचपन से साथ-साथ पढ़े थे। एमबीए की पढ़ाई के बाद मानसी ने जाॅब करली थी, उधर जयन्त
Read Moreपिता सदा भगवान हैं,माँ देवी का रूप। मात-पिता से ही सदा,संतानों को धूप।। –यह सोलह आने सच है। संतति के
Read Moreअंधकार में हम साहस के,दीप जलाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।। चंद्रगुप्त की धरती है यह,वीर शिवा
Read Moreबचपन की यादें सुखद,दें मीठे अहसास। बचपन के दिन थे भले,थे बेहद ही ख़ास।। दोस्त-यार सब थे भले,जिनकी अब तक
Read Moreकलम बने तलवार तभी तो बात बनेगी। काटे अत्याचार ,तभी सौगात बनेगी ।। कलम वही जो झूठ,कपट पर नित हो
Read Moreसूरज आतिश बन गया,गर्मी के आ़याम। कैसे कटें पहाड़ दिन,ढूँढें सब आराम।। घर के भीतर हैं घुसें,दिन बन गये पहाड़।
Read More“क्या हुआ? “ “लक्ष्मी आई है। “ “खाक लक्ष्मी आई है।तीसरी बार भी लड़की ही।” और,सासू मां ने अनीता को
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