लघुकथा – मुंह पर थप्पड़
मानसी और जयन्त बचपन से साथ-साथ पढ़े थे। एमबीए की पढ़ाई के बाद मानसी ने जाॅब करली थी, उधर जयन्त
Read Moreमानसी और जयन्त बचपन से साथ-साथ पढ़े थे। एमबीए की पढ़ाई के बाद मानसी ने जाॅब करली थी, उधर जयन्त
Read Moreपिता सदा भगवान हैं,माँ देवी का रूप। मात-पिता से ही सदा,संतानों को धूप।। –यह सोलह आने सच है। संतति के
Read Moreअंधकार में हम साहस के,दीप जलाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।। चंद्रगुप्त की धरती है यह,वीर शिवा
Read Moreबचपन की यादें सुखद,दें मीठे अहसास। बचपन के दिन थे भले,थे बेहद ही ख़ास।। दोस्त-यार सब थे भले,जिनकी अब तक
Read Moreकलम बने तलवार तभी तो बात बनेगी। काटे अत्याचार ,तभी सौगात बनेगी ।। कलम वही जो झूठ,कपट पर नित हो
Read Moreसूरज आतिश बन गया,गर्मी के आ़याम। कैसे कटें पहाड़ दिन,ढूँढें सब आराम।। घर के भीतर हैं घुसें,दिन बन गये पहाड़।
Read More“क्या हुआ? “ “लक्ष्मी आई है। “ “खाक लक्ष्मी आई है।तीसरी बार भी लड़की ही।” और,सासू मां ने अनीता को
Read More“अरे अमित तुम अचानक कैसे?और तुम्हारे साथ ये लड़की कौन है?” अमित के मामा ने अचानक हज़ार किलोमीटर दूर रहने
Read Moreसंत ज्ञान, तप, योग से, रचते जीवन-सार। राह दिखा, आलोक दें, परे करें अँधियार।। संत नित्य ही निष्कलुष, सदा आचरण
Read Moreमंडला–पल्लव काव्य मंच के पटल पर आयोजित आज के कवि सम्मेलन में काव्य पाठ हेतु आमन्त्रित भारत के अनेक राज्यों
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