शिक्षक-धर्म
मैं बाँहों में सृजन, कलम में प्रलय सजाया करता हूँबुझते मन में दीप, दिलों में आग जलाया करता हूँ।कितने अनगढ़
Read Moreमैं बाँहों में सृजन, कलम में प्रलय सजाया करता हूँबुझते मन में दीप, दिलों में आग जलाया करता हूँ।कितने अनगढ़
Read Moreतुम अपना धर्म निभाओ, मैं अपना धरम निभाऊँदेवों के चरण पखारो तुम, मैं मानव पर मिट जाऊँ। जब शूल भेदते
Read Moreकर रहे हैं नमन उन शहीदों को हम जो समर मे अमर हो गये थे कभी हम रहें न रहें
Read Moreसुलग उठा फिर आज हिमालय, सुलग उठी फिर घाटी है सुलग रहा है बच्चा-बच्चा, आग उगलती माटी है दगाबाजियों ने
Read Moreइन दिनों मुझे हर व्यक्ति में कोरोना दिखता है। लगता है कोरोना ब्रह्म है जिसका वास हर जीव में है।
Read Moreआज मुझे उन लोगों पर तरस आ रहा है जो मेरे मद्यपान से रुष्ठ रहते थे। मूर्ख कहीं के। वे
Read Moreउनकी गिनती संसार के शूर-वीर जंतुओं की प्रजाति में होती थी। सड़क पर पुलिस के सामने चौराहे के यातायात सिग्नल
Read Moreदानवता का नाच देखिए,आस्तीन में साँप देखिएअपनो का सिर काटनेवाले,जिंदा जिन्न-पिशाच देखिए। ये मजहब की बाँध के पट्टी,आँखों कोअंधा करते
Read Moreशासन के संग अनुशासन को अस्त्र बनायेंकाल करोना को सब मिलकर आज हरायें है ऐसा वह कौन धुरंथर, जो ना
Read Moreअंधकार था जब जन-मन में, घोर तमस था सकल भुवन में तब मैंने भी रीत निभायी, देश-भक्ति की ज्योत जगायी!
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