व्यंग्य – जूतों की शान
एक ऐसी वस्तु का नाम बताइए जो खाने के भी काम आती है और पहनने के भी? चकरा गए? मैं
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Read Moreकठिन डगर है, कोई न साथी, पर तुम ना घबराना अंधियारा भी हो जाए तो, लक्ष्य को भूल ना जाना।
Read Moreजिसे सुलाया बाँहों में और पलकों की छाँव में मैं नहीं सोच सकता हूँ मेरी बिटिया तुझे बिलखता, नहीं देख
Read Moreआँसुओं को मैं ईंधन बनाती रही तेरी यादों के दीपक जलाती रही। होंठ हर पल तेरा नाम गाते रहे मुस्कुराते
Read Moreआज विरहिणी तुझे पुकारे, कहाँ गया मेरा यार रूठ गयी माथे की बिंदिया, कहाँ खो गया प्यार? तुम संग जो
Read Moreआज कॉलोनी में सुबह-सुबह जैसे ही एक प्रश्न गूँजा- “पप्पू पास हो गया?” प्रत्युत्तर में मानो कॉलोनी में कोरस सा
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