ग़ज़ल – ठीक नहीं
अमरबेल की फसल उगाना ठीक नहीं अब साँपों को दूध पिलाना ठीक नहीं । जिनको ज्ञान नहीं है सुर और
Read Moreअमरबेल की फसल उगाना ठीक नहीं अब साँपों को दूध पिलाना ठीक नहीं । जिनको ज्ञान नहीं है सुर और
Read Moreखूंखारों का धर्म बताया जाता हैगद्दारों को फ़र्ज़ जताया जाता है। धूल भरी है जिनकी क़ातिल आँखों में दर्पण अंधों
Read Moreउम्र अभी तेईस से थी कम,मगर बाँह में शेरों-सा दममिट जायेंगे ना था ये ग़मअंग्रेज़ों की साँस गयीं थमइंकलाब का
Read Moreअजब तमाशा खेल हो गयाकोरोना भी फ़ेल हो गया। जहाँ चुनावों के मेले हैं लाख-करोड़ों के रेलें हैं और मदारी
Read Moreबड़ी विचित्र शवयात्रा थी। अरथी हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख ईसाई चारों के काँधे पर थी। पीछे-पीछे चलनेवाले बौद्ध, जैन और धर्म
Read Moreआवश्यकता, आविष्कार की जननी है, और विलासिता उसकी रखैल। विज्ञान का इतिहास गवाह है साहब कि सारे आविष्कार अपनी ज़रूरतें
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