प्राणवायु जीने का आधार
पेड़ इक लगाया नहीं, काट डाले हजार। अब पछतावा क्यों करे,दी कुदरत नें मार। सांस सांस को ढूंढता, नयन करें
Read Moreपेड़ इक लगाया नहीं, काट डाले हजार। अब पछतावा क्यों करे,दी कुदरत नें मार। सांस सांस को ढूंढता, नयन करें
Read Moreहे दुख हारणी पालनहार, जग से न्यारी मां। कष्ट निवारण तारणहारी, सब से प्यारी मां। तेरे रूप अनेक जगदम्बे, लक्ष्मी
Read Moreमां बेटे को दूध पिला के पालती है कितना कष्ट सह के बापू दिन रात मेहनत करके अपने जिगर के
Read Moreकोरोना को भगाएंगे कोरोना की फिर से बढ़ने लगी है मार नेता भीढ़ जुटाते जा रहे कोई लगाम नहीं आम
Read Moreशेषनाग सिर है धरी, मां वसुंधा महान। जन गण की है तारणी, करती जन कल्याण। सतयुग त्रेता द्वापर, कलयुग तक
Read Moreमेरी आँखो से रिसता तेरी यादों का हर पल बूँद बन पिघल जाता मेरी कोमल कपोलों पर आ कर बिछ
Read Moreनशे का सौदागर, है युग का आदमी। छुपा हुआ अजगर,है युग का आदमी। काम, क्रोध, लोभ, मोह, हंकार पालता, हुआ
Read Moreचलो एक बार फिर जिंदगी वक्त आज़माते हैं। संकल्प पर टिकी हमारी आशाएं बता देते हैं। हिम्मत से चलना सीखा
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