मुक्तक/दोहा

दोहे –  खामोशी

जो तन  मन से हैं  सधे, उत्तम हैं वो लोक।
आत्याचार  देख  तभी, हैं  लेते  जो  रोक।
खामोशी  है   मारती, बड़बोलों  के  बोल।
बोलने  से पहले ही, सदा  शब्द  को तोल।
खोमोशी  ना धारिये, जुल्म  करे जब नाद।
डट के  मुकाबला करो, रोईये  क्यो   बाद।
चुप रहना ही ठीक है,चुप्पी गुण की खान।
वाद विवाद  के झगड़े, ले  लेते   हैं  जान।
खामोशी ने  लूट ली, भरी  सभा में  लाज।
द्रोपदी  मिन्नतें  करे, लाचार  बना  समाज।
महाभारत  की रचना, थी  खामोशी  मूल।
रचा  गया   संग्राम था, सब  मर्यादा  भूल।
खामोशी होती बुरी, उपजते  मन  विकार।
गुमसुम रहता जो फिरे करो सही उपचार।
— शिव सन्याल 

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995