तू मेरा दर्पण है माँ
हृदय,श्वांस और रक्त कणों का चरणों मे समर्पण है माँ। मुझको मुझसे ही मिलाया तू मेरा दर्पण है माँ। वाणी,वाग्देवी,वागीश्वरी,
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Read Moreसत्कर्म, सदभाव का कोई तो अब नाम बनो। कितने हृदय में रावण जन्मा कोई तो अब राम बनो। धरा कर
Read Moreस्वच्छंद उड़ो मुक्त गगन में पूर्ण करो अभियान। विश्वास हृदय में हो मगर तनिक नहीं अभिमान। दृष्टि लक्ष्य की अनन्य
Read Moreआज रामदीन बहुत खुश था और खुश हो भी क्यूँ न?उसके खेतों में लहलहाती गेहूं और चने की फसल उसके वर्ष
Read Moreफ़क़त तिरंगा फहराने से, फर्ज निभाना मुश्किल है रक्त कणों की कुर्बानी से, कर्ज चुकाना मुश्किल है गिरे जमीं पर हो
Read Moreजहां पुष्प हृदय समर्पित न हो, वो वन्दन स्वीकार नहीं जिसमें मीरा सी भक्ति न हो, वो चन्दन स्वीकार नहीं स्वागत
Read Moreगिरे जो लड़खड़ा के अगर संभलना भी जरूरी था वजह ठोकर की कदमों से मसलना भी जरूरी था सुबह तो
Read Moreसावन के पग चूम प्रकृति प्रसन्नचित हुई भ्रमर की आस न टूटी न चाल बाधित हुई। हृदय
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