गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 06/02/202406/02/2024 ग़ज़ल साथ समय के चलते गम है। इस दुनिया में सब कुछ कम है। धारा के विपरीत बहो तो, आंसू हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 07/01/202407/01/2024 ग़ज़ल जिन्दगी जिसने संवारी है खुदा के वास्ते नाम लिखता है खुदा का जो खुदा के वास्ते। कोई अंजानी सी खुशबू Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 18/12/202318/12/2023 ग़ज़ल सच के सारे कोण अलग हैं जीवन के सब मोड़ अलग हैं। चलते- चलते खुल ही जायें अनुबंधों के जोड़ Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 04/11/202304/11/2023 ग़ज़ल नहीं रास्ते खोज सके जो, मुझको आये राह दिखाने। सागर, नदियां, झीलें – झरनें, काम न आये प्यास बुझाने। इतनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 16/10/202316/10/2023 ग़ज़ल यह हवा कैसी चली है लोग कैसे हो गये हैं विष भरे परिवेश में सब तो विषैले हो गये हैं। Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 05/08/202305/08/2023 ग़ज़ल देश हुआ श्मशान कि हम खुश हो लें जी बढ़े चौगुने दाम कि हम खुश हो लें जी। चलते-चलते बहुत Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 08/07/2023 ग़ज़ल इस तरह मिलना -मिलाना आ गया। जिंदगी के पास आना भा गया। रुप का दिखना तुम्हारे इस तरह, चांद धरती Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 12/06/2023 ग़ज़ल प्यास की बेचैनियां पर था नहीं पानी नसीब, एक दरिया बह रहा था तिश्नगी के वास्ते। सिर्फ सूखे ठूंठ जैसी Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 05/05/2023 ग़ज़ल किससे किसको डर लगता है। खुद को खुद से डर लगता है। शैतानों के क्या कहने अब, इंसानों से डर Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 01/03/2023 ग़ज़ल ऐसा पहली बार हुआ है शायद मुझको प्यार हुआ है। चुपके -चुपके तुम्हें देखता आंखों से इज़हार हुआ है। भीतर Read More