काट दिए मेरी कलम के पर
तमन्ना थी कभी खुद को , मैं खूब संवारूंगी सौलह श्रंगार करके , मैं खुद कि ही नज़र उतारूंगी।। आया
Read Moreतमन्ना थी कभी खुद को , मैं खूब संवारूंगी सौलह श्रंगार करके , मैं खुद कि ही नज़र उतारूंगी।। आया
Read Moreमेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।। कभी मांगा न कुछ तुझसे , फिर भी सज़ा
Read Moreफ़रेब दिया तूने चाहे , रूह में मेरी तू ही समाता है ये दिल तो कायल था, आज भी तुझे
Read Moreमेरा मन है एक बंजारा स्थिर नहीं ये फिरता मारामारा कभी प्राकृतिक सौंदर्य में फिरे तो कभी दर्द ए यादों
Read Moreसब्र रख ए जिन्दगी दर्द में तेरे कभी तो कमी आएगी मत बहा इतने आंसू ये नमी भी कभी तो
Read Moreहमनें जाना गुमनाम सी जिंदगी में दर्द रंग भरता एक आम इंसा तो बस अपना दर्द भुलाने और
Read Moreआज दुनिया के सभी देश आधुनिकता की राह पे चलते हुए दिन प्रतिदिन जहां तरक्की कर रहे हैं।साथ ही जहां
Read Moreआज एक कड़वा सवाल मन मे बहुत बैचेनी सी उत्पन्न कर रहा था।जब कल्पना मात्र से ही मेरी कलम का
Read More