कविता

आम इंसा बना दर्द ए शायर

हमनें जाना गुमनाम सी जिंदगी में दर्द रंग भरता
एक आम इंसा तो बस अपना दर्द भुलाने और
             सुकून पाने के लिए  लिखता
                       एक दिन वही
गुमनाम इंसा दर्द ए शायर बन दुनिया से मिलता।।
वक्त और हालातों के झरोखों से जूंझ वो इंसा
खुद महक, शब्दों को महका गुल सा खिलता।।
भूला न पाता  दर्द वो इंसा बस कभी तंहा रातों,
तो  कभी यादों में डूब वेदना, अश्रु लिये लिखता।।
वैसे सच कहूं दर्द ए शायर के चेहरे पर दिखावे से
भरा मुस्कुराहटे  नकाब हर वक्त मिलता।।
— वीना आडवानी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित