गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

चलो आज थोड़ी सी आपसे बात कर लेते है।
बिन मौसम के प्यार की बरसात कर लेते है।।
आप भी करते रखोगे उम्रभर हमको याद।
चलो हम आपसे इक मुलाकात कर लेते है।।
रोज रोज की गुहार से ये दिल भरता नही।
चलो आज से आपका ही साथ कर लेते है।।
फिर न कहना मेरी लेखनी में दम नही साहब।
भेज कर पाती अपने मन की बात कर लेते है।।
मुहब्बत में तो यहां हर कोई अपना दिल हारा है।
क्या चीज है ये चलो इसको साथ कर लेते हैं।।
— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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