मूक-बधिर
लगभग रात के १२बजे ट्रेन चंडीगढ़ से चली। मैं अपनी दो बेटियों के संग कोटा अपने बड़े भाई के पास
Read Moreक्या तुम ने कभी किसी का दर्द अपने सीने में महसूस किया है! किसी मजबूर लाचार के आंसु अपने आंखों
Read Moreसुबह आरंभ है तो रात है अंत इस आरंभ और अंत के बीच में जीवन है गहन आंख बंद किए
Read Moreहमसे हर बात का हिसाब मांगता है हमारे हर कर्म का जबाव मांगता है। अहंकार के वंश में आकर हमने
Read Moreगर बेनूर हो गयी दुनिया तेरी तो रोते बच्चों को हंसाया करो। गर मुश्किल हो गयी जिंदगी की राहें तेरी
Read Moreबारिश में छतरी, धूप में साया तेरा प्यार हर तरह से काम आया। बेगानो से भरी दुनिया में एक तेरा
Read Moreआज का दिन फिर यूं ही गुजर गया। कतरा-कतरा करके जिंदगी गुजर गया।। बेमतलब-सी इस जिंदगी क्या करें। जिसमें मक़सद
Read Moreकिसी का दर्द बांट लो हो सके तो मानवता की उंगली थाम लो। अपने हालात की मजबूरीयो से निकल मजलुमो
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