मन की व्यथा
ब्यथा अपने मन की बताऊ तो किसे बताती भी हू तो बताकर क्या करू आज के इस दौर मे उलझन
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Read More1 वन प्रदेशों का यह देश हरा भरा उपवन सब खेत कही आम साल पीपल है तो, कही गोंद बरगद
Read Moreआज प्रकृति की छटा निराली है , हरे – भरे वृक्षों से डालिया सजी है । कोयल की कुहू से
Read Moreयादो के इस पहलु को किसी क्षण भी भुला न पाऊगी जब जब तेरी याद आती आँखे भर आती है
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