आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 43)
पिछली कड़ियों में अपनी जापान यात्रा का पूर्ण विवरण दे चूका हूँ। जापान से लौटने वाले दिन सड़क पर जाम के
Read Moreपिछली कड़ियों में अपनी जापान यात्रा का पूर्ण विवरण दे चूका हूँ। जापान से लौटने वाले दिन सड़क पर जाम के
Read More28.10.1990 (रविवार) ये पंक्तियाँ मैं टोकियो से दिल्ली उड़ान के दौरान लिख रहा हूँ। मेरी पिछली रात उसी तरह सीटों
Read Moreअब मैंने अपनी बुद्धि से थोड़ा काम लिया। सबसे पहले तो मैंने यह तय किया कि होटल में ठहरने का
Read More26.10.1990 (शुक्रवार) आज हमारा टोकियो में अन्तिम दिन था। मेरी उड़ान इटालियन एयर लाइन्स अलइटालिया के साथ बुक थी, जो
Read Moreवहाँ से श्री हिरानो मेरे लिए हीयरिंग रोड दिलवाने एक जगह ले गये जिसे इलैक्ट्रिकल सिटी (बिजली का नजर) कहा
Read Moreजापान में पहली बार मैं रेल में तब चढ़ा जब हमें तुकूबा जाना था। करीब 11 बजे हम रेलवे स्टेशन
Read Moreएन.टी.टी. की विलक्षण खोजें देखकर ही हमने बस नहीं की, बल्कि अभी और भी चमत्कार देखने थे। उसी का एक
Read Moreकुछ दिन पहले शिव सेना के एक सांसद ने एक लेख में यह मत व्यक्त किया था कि देश की
Read Moreबस ने हमें वहाँ उतारा जहाँ ‘डाटा शो’ नामक प्रदर्शनी लगी थी। उस दिन प्रदर्शनी का उद्घाटन था, जो 10
Read Moreश्री हिरानो के निर्देशों के अनुसार मुझे वहाँ से बस में टोकियो सिटी एअर टर्मिनल जाना था। 2500 येन में
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