आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 26)
मेरी पहली हवाई यात्रा 26 अगस्त 1989 (शनिवार) मैंने अपने साथी अधिकारी श्री राकेश क्वात्रा के साथ जाकर वाराणसी से
Read Moreमेरी पहली हवाई यात्रा 26 अगस्त 1989 (शनिवार) मैंने अपने साथी अधिकारी श्री राकेश क्वात्रा के साथ जाकर वाराणसी से
Read Moreमैं 2-3 दिन गाँव में रहा और सबसे मिला। मेरा मन गाँव छोड़ने को नहीं कर रहा था, परन्तु छुट्टियाँ
Read Moreकम्प्यूटर अधिकारियों के अलावा जिस अधिकारी से मेरी विशेष घनिष्टता थी, वे थे श्री नरेन्द्र प्रसाद धस्माना। वे हमारे हिन्दी
Read Moreवाराणसी में पर्यटक बहुत आते हैं। प्रमुख तीर्थ होने के कारण देशी पर्यटक तो आते ही हैं, विदेशी पर्यटक भी
Read More28 दिसम्बर को समय पर मैं बैंक पहुँच गया और वहाँ उपप्रबंधक (ईडीपी) का कार्यभार ग्रहण कर लिया। मेरे पास
Read Moreइस कटु अनुभव के बाद एच.ए.एल. में मेरे बने रहने का कोई अर्थ नहीं था और मैं वहाँ से भागने
Read Moreएच.ए.एल. में मैंने लगभग साढ़े पाँच साल नौकरी की थी, परन्तु वहाँ से बाहर ट्रेनिंग पर जाने का अवसर केवल
Read Moreमैं एच.ए.एल. में बहुत खुश और संतुष्ट था। परन्तु तभी कुछ ऐसी घटनाएँ घट गयीं कि एच.ए.एल. से मैं बुरी
Read Moreए-ब्लाॅक, इन्दिरा नगर में एक कमरे वाले मकान में मैं लगभग डेढ़ साल रहा। फिर वहाँ असुविधा होने पर सी-ब्लाॅक
Read Moreसंघ के प्रचारकों के जो उदाहरण मैंने दिये हैं, वे विरले नहीं हैं। लगभग सभी संघ प्रचारक एक दूसरे से
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