आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 14)
एच.ए.एल. में एक उच्च अधिकारी भी स्वयंसेवक थे। उनका नाम था श्री अरुणाकर मिश्र। वे बहुत योग्य थे और कम
Read Moreएच.ए.एल. में एक उच्च अधिकारी भी स्वयंसेवक थे। उनका नाम था श्री अरुणाकर मिश्र। वे बहुत योग्य थे और कम
Read Moreये थे मेरे एच.ए.एल. के कम्प्यूटर विभाग के संगी-साथी। विभाग के बाहर के भी अनेक सज्जनों से मेरा घनिष्ट परिचय
Read Moreहमारे सेक्शन में एक मात्र मुसलमान आॅपरेटर थे श्री सैयद अब्दुल हसन रिजवी। वे शिया थे और किसी नबाबी खानदान
Read Moreदूसरे आॅपरेटर जिनके साथ मेरी बहुत घनिष्टता थी वे थे सरदार कुलदीप सिंह। वे बहुत सज्जन और हँसमुख व्यक्ति थे।
Read Moreहमारा नया और बड़ा कम्प्यूटर बरोज कम्पनी का था। उसकी देखरेख का ठेका सीएमसी लि. नामक कम्पनी को दिया गया
Read Moreहमारे सेक्शन के भवन में कोरबा डिवीजन (जिला अमेठी) के जो दो अधिकारी बैठते थे वे थे श्री अजय अग्रवाल
Read Moreकु. किरण मालती अखौरी हमारे विभाग में एक मात्र महिला अधिकारी थीं। वे बिहार की रहने वाली थीं। उनके पिताजी
Read Moreश्री सैयद शकील परवेज़ चिश्ती (संक्षेप में एसएसपी चिश्ती) बहुत सज्जन व्यक्ति हैं। देखने में कुछ खास नहीं, लेकिन दिल
Read Moreएच.ए.एल. में मेरे समूह के प्रमुख थे श्री राजीव किशोर। आप यों तो ‘अग्रवाल’ थे, परन्तु जातिवाद में विश्वास नहीं
Read Moreएच.ए.एल. में अपनी सेवा प्रारम्भ करने के तीन-चार माह बाद ही मेरी नौकरी खतरे में पड़ गयी। कारण बने ज.ने.वि.
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