कविता
क्या करते तमन्ना कोई वक्त से वक्त न मिलाया कर कभी || जाने गैर था या अपना .. लिए इम्तेहान
Read Moreमर मर कर जी रहे हैं जी जीकर मर रहे हैं खाली पेट वाले ही जलती धूप में भी चल
Read Moreअमीर दौलत जोड़ते ,गरीब ढोता लाश , विलसित नेता जी हुए, कौन करे प्रकाश || बाढ़ राहत योजनाये ,चढ़ी बहुत
Read Moreगर अब्दुल हामिद नहीं बन सकते ,हाफिज सईद भी मत बनो , देश की शिराओ में लहू नहीं बन
Read Moreदेवालयों की ओर बढ़ते कदमों में विश्वास होता है , रूठी हुई जिन्दगी के संवरने का अहसास होता है|| चमक
Read Moreमाना वक्त की शाख से कभी लम्हे नहीं टूटते अहसास जुड़े हो रूह से गर साथ नहीं छूटते कदम दर
Read Moreसम्भालों जिंदगी बदल रही है.. प्रकृति को मारोगे तो तुम जीवित रह पाओगे क्या .?. वृक्ष विहीन धरा न करो
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