झाड़ू की तरह
घर की सामने राह कीसफाई करते करतेस्वयं घिस जाते हैंटूट जाते हैंअंदर से बाहर तककुछ किरदारअपने आसपासहोते हैं मौजूदझाड़ू की
Read Moreघर की सामने राह कीसफाई करते करतेस्वयं घिस जाते हैंटूट जाते हैंअंदर से बाहर तककुछ किरदारअपने आसपासहोते हैं मौजूदझाड़ू की
Read Moreगुपचुप आकर बैठ गया थाजो कारगिल की चोटी परलिखा हमने भी वंदेमातरमदुश्मन की वोटी वोटी पर कुछ सियार आ बैठे
Read Moreमेरी कलम को भाये राम । जब से अयोध्या आये राम ।। छोड़ रही पदचिह्न अपने कागज की पगडंडी सारे
Read Moreदेख धीरज का धीरज, धीरज रह्यो खोय। खोया धीरज सभी ने, धीरज धीरज रोय।। संचित रुपया पाप का, खूब किए
Read Moreउम्र के इस पड़ाव पर लगता है कि त्योहार बदल गये या फिर हम बदल गये । चलो मान लिया
Read Moreशुभ प्रभात पढ़कर अखबार हुआ ज्ञात निकल पड़ा ढ़ूँढ़ने पथरीली पगडंडियाँ कटिली झाड़ियां ऊंचे घने वृक्ष कोयल के स्वर झिंगुर
Read Moreतुम सो रहे थे पहले भी और सो रहे हो आज भी पहले भी ना कभी रात थी आज दिन
Read Moreमिस्टर.आधुनिक लाल व श्रीमान संस्कृति प्रसाद एक ही मोहल्ले में रहते थे । दोनों पढ़े-लिखे नौकरी-पेशा भी थे । दोनों
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