एक आदमी दो वसंत (लघु व्यंग्य)
मनुष्य प्रकृति की अनुपम छटा को वसंत के रूप में सदियों से देखता आया है । प्रकृति का ये आशीर्वाद
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Read Moreवसंत एक दिन का नहीं कई सप्ताहों का महीनों का होता है वसंत पंचमी तो शुभ मुहूर्त है परिवर्तन का
Read Moreजब भी कोई आज के विज्ञान की उन्नति की बात करता है तो उसकी बात काटने को कोई ना कोई
Read Moreयूँ तो जीव-प्रेम के लिए पूरा शहर जे पी को बखूबी जानता था। उन्हें गली-मोहल्ले, यहाँ-वहाँ, कहीं
Read Moreरामलाल को कारणवश सपरिवार सुदूर अपने रिश्तेदार के यहाँ जाना था। राह लगभग चार दिनों की थी। कुछ खाने के
Read Moreयूँ तो मीठालाल का परिवार कस्बे में अपनी अच्छाइयों के कारण जाना जाता है । स्वयं मीठा लाल धर्मप्राण व
Read Moreयूँ तो शान्ति किसे नहीं सुहाती फिर चाहे पशु-पक्षी हो या इंसान शान्ति का होता एक विज्ञान जो आरोग्य प्रदान
Read Moreयद्यपि इंसान स्वयं सदियों से जूतियाँ पैरों में और सिर पर पगड़ी पहनता आया है और दोनों का स्थान भी
Read Moreबसंत तुम इठलाना मत गीत बेसुरे गाना मत । तुझसे सजेगी धरती प्यारी फूल फूल हर क्यारी क्यारी देख देख
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