कविताएं…
सन्ध्या का आगमन… “””””””””””””””””””””””””” अस्ताचल में छिपता सूरज तट की ओर धीरे-धीरे खिसकती नाव दिन भर की थकी हुयी लहरें
Read Moreलोग कहते हैं कि कलम हाथ से चलती मैं कहता, कलम हाथ से नहीं, दिम़ाग से चलती है सोच से
Read Moreसर्द ऋतु रहना अगर, भैया तुमको मस्त । भोजन बाद गुड़ खाइये, पाचन रहे दुरस्त ।। मुख्य स्रोत आयरन का,
Read Moreएक युग बीता एक युग आया युग आयेंगे जायेंगे … जो कर जाते काम सुनहरे युग-युग गाये जायेंगे… जी कर
Read Moreजो करते थे बुराई उनकी चौराहों पर वो आ ही गये हैं देखिये दौराहों पर डगमगा रही हैं आज इमारतें
Read Moreजब कोई मुझको बनाता है म़जा आता है बात अपनी वो छुपाता है म़ज़ा आता है हमने विश्वास किया शोख़
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