“सार छंद”
सार छंद [सम मात्रिक], *विधान* ~ [ 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक भार 22, कुल चार चरण,
Read Moreकान्हा अब तो आ जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज सभी अभिशप्त हुए
Read Moreरास छंद “कृष्णावतार” हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रही थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को,
Read Moreमेरी आँखों मे देख क्या क्या नज़र आता है हक़ीक़त है या ख्वाब नज़र आता है तुम्हे तो लगता होगा
Read Moreदेखे होगें उसने बड़े – बड़े सपने अपने हाथों से बुने होगें छोटे – छोटे ऊनी कपड़े सहे होगें जिंदगी
Read Moreरिश्ते और परिवार दोनो को ही सहेज कर रखना पडता है समय समय पर इसे अपना साथ दे मजबूत करना
Read Moreमैं महसूस कर सकता हूं अपने ह्रदय पर हाथ रखकर कि तू कितनी रोई होगी… भारतमाता अपने तीस सपूतों की
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