// अहा ! जीवन..//
हे जीवन ! तुम मन हो ! मानसिक क्रीड़ा हो ! प्राकृतिक नियमों को कभी तिरस्कार करते हो तो कभी
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Read Moreछोड दी जिंदगी को, वक्त के हवाले; आधी पढ़ के, जैसे कोइ किताब! बहे गया प्रवाह, सरलता की सरिता
Read Moreनरमुंडों के बीच में, लिए हाथ कंकाल घूम रही तस्वीर है, मानव मृत्यु अकाल मानव मृत्यु अकाल, काल मानव के
Read Moreभूत, भविष्य, वर्तमान, मानव के हैं तीन वस्त्र। भूतकाल के वस्त्र बदलकर, वर्तमान में रह लो मस्त। जो भविष्य की
Read Moreबेशक! हमें, विषाद दिया है वक्त ने, परंतु हर्ष भी दिया है वक्त ने। हार दिया है वक्त ने, परंतु
Read Moreबीत गए दिन जवानी के मेहनत और क़ुरबानी के जब तक था स्वार्थ तब तक रहे साथ अब बेटा नही
Read Moreखोया प्यार ढूंढने में बीत जाती उम्र आँखों की दरबदर खोजता मजनू बन प्रकृति की बहारों में मुलाकाते होती थी
Read Moreये जरूरतें हैं, हमारे बीच में एक दूसरे को मिलती बंधु – बाँधव – मित्र – शत्रु, छल,कपट सभी जीवन
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