कविता – जब तलक युग अर्थ-प्रधान रहेगा
जब तलक युग अर्थ-प्रधान रहेगा आपसी सम्बन्धों में व्यवधान रहेगा वक्त कितना भी हो जाए विकसित तन पर भी नहीं
Read Moreजब तलक युग अर्थ-प्रधान रहेगा आपसी सम्बन्धों में व्यवधान रहेगा वक्त कितना भी हो जाए विकसित तन पर भी नहीं
Read Moreमाँ, बाप, पत्नी, भाई-बहन व बच्चों के साथ देश रो रहा है, शहीदों के पार्थिव को कंधे पर उठाए, साथ
Read Moreऐसी क्या मजबूरी है सेना पर पत्थर मारें, पाक प्रेम के वशीभूत हिंद प्रेमियों को मारें। बहते बाढ़ में जब
Read Moreदेश बदला देश का स्वरूप बदला मैकाले की आधार बनी शिक्षानीति का स्वरूप बदल गया गाँधी की बुनियादी शिक्षा का
Read Moreउड़ा दिए उन परिंदों को उनकी ही डाल से एक छोटे से कंकर देकर झूलते थे जो घोसले बहुत पुराने
Read Moreविनय करूँ कर जोरि मुरारी, पाँव पखारो जमुन कछारी नैना तरसे दरस तिहारी, गोकुल आय फिरो बनवारी॥-1 ग्वाल बाल सब
Read Moreकब तलक पानी बिलो, मक्खन बनाते रहोगे, हिंसा पर, निंदा की मरहम लगाते रहोगे? मर रहे हैं रोज सैनिक, वतन
Read More