कर्म प्रकाशा
है हर तरफ़ प्रपंच और झूठ का हीं मंच पर अडिग रहो, अथक बढ़ो , रुको नहीं संदेह में ।
Read Moreहै हर तरफ़ प्रपंच और झूठ का हीं मंच पर अडिग रहो, अथक बढ़ो , रुको नहीं संदेह में ।
Read Moreकहाँ गये अमर बलिदानी आप की यहा जरूरत है। भ्रष्टाचार, आतंक फैला चारों तरफ एक फितरत है॥ दूर भगाने की
Read Moreक्या लेकर आए थे यहाँ पर, क्या लेकर तुम जाओगे, जो कुछ है वो मिला यहीं से, यहीं छोड़कर जाओगे.
Read Moreऔरत की जिंदगी किस्तों के जैसी है जहाँ पर जन्म लिया आँखे खोली वही से शुरू हो जाती है पहली
Read Moreकुछ सहेज रखे है मैंने अपने अन्तःमन के कोने में सपने पर आज न जाने क्यों रह-रह के ये चंचल
Read Moreहम कमरे में—————- अब पति पत्नी कहां होते है? बिस्तर तो वही है, पर एैसा लगता है जैसे——– अब उसपे
Read Moreमेरे इमरोज़———— मै तुम्हारे लिये छोड़े जा रही, एक तकिया तेरे नाम। काश ये गिलाफ—– मै तुमपे चढ़ा पाती, और
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