स्वदेश बचाने आ जाओ॥
कहाँ गये अमर बलिदानी आप की यहा जरूरत है।
भ्रष्टाचार, आतंक फैला चारों तरफ एक फितरत है॥
दूर भगाने की खातीर पून: आपकी आवश्यकता है।
भ्रष्टाचार मुक्त बनाना, सबकी बन गई बिवशता है॥
गलत राह बतलाने के लिए यहां वहाँ दौड़ लगाते है।
अपने फायदे के चक्कर में दूसरों को यहा दबाते हैं॥
लौटकर पुनः आ जाओ हमारे देश के वो नौजवान।
उस दिन जितनी थी जरूरत आज क्या मैं दू ब्यान॥
उस वक्त विदेशियों ने,अपनों को यहाँ घसीटा था।
हम सभी देश वासियों पर जोर-जुल्म बरसाया था॥
उस दिन उतना अखर नही था आज जीतनी हो रही है।
आपस में ही कांटे बनकर एक दूजे को चुभो रही है॥
कहीं है हत्या कहीं है लूट कहीं हो रही बमबारी।
भ्रष्टाचार ने जड़ जमा लिया है लूटी जा रही है नारी॥
वीर सपूतों देशवासियों का अलख जगाने आ जाओ।
हम सबका उद्धार कर स्वदेश बचाने आ जाओ॥
___________________________रमेश कुमार सिंह