कविता : …….. अच्छा लगता है
इक खामोशी अक्सर फैल जाती है हम दोनों में कभी -2… इक दूजे में गुम होना भी अच्छा लगता है
Read Moreइक खामोशी अक्सर फैल जाती है हम दोनों में कभी -2… इक दूजे में गुम होना भी अच्छा लगता है
Read Moreबार -2 जिक्र करके… याद करते हैं हम तुमको जिद है तुम्हें पाने की… मुकद्दर में तुम नहीं हो !!
Read Moreबारिश बाट निहारे, बैठी विरहन लिये ख्वाब अधूरे रोती है ! शिकवा कर बतलाये किसको आँखों से बारिश भी होती
Read Moreवो दौड़ता रहा और आर्डर आर्डर मज़े लूटता रहा …… रंग भेद का भी अजीब खेल है गोरा हँसता
Read Moreफूलों से संसार सजता है संसार विचारों से महकता है विचारों से इंसान संवरते हैं इसानों से परिवार रौशन होते
Read Moreवर्षा की बूँदें पड़ती हैं जब प्यासी धरा के अधर पे उठती है एक सोंधी सुगन्ध खिल उठती है हर
Read Moreतीरथ माँ बाप को कभी करा न सका कभी श्रवण कुमार कहला न सका। छाती सुखा ली उसने मुझे पिलाकर
Read Moreहवाओं में , बिखरी है एक खास महक जैसे बिखेर दिया हो कोई अनगिनत सुर्ख गुलाब ……….! रेत के घरौंदों
Read Moreबिखरी हुई कविताओं के साथ , यूँ ही जब होती हूँ दो-चार अनायास ही बढ़ जाती है ललक कुछ नया
Read Moreनदियाँ करती कलरव, पंक्षी का गुंजार रहा।। नीली चादर से देखो, ढ़का सारा आसमान रहा।। पीली सरसों की फूलों से,
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