कविता : प्रेम
मुझे प्रेम नहीं करना था तुमसे प्रेम सीमित कर देता था अधिकार तुम पर.. लज्जा से बना देता था लचीला
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Read Moreभारत माता की जय बोलो मन की अपनी गांठे खोलो.भारत माता की जय बोलो जब जब हमने उसे पुकारा, माँ
Read Moreपगड़ी आदमी के पहनावे की शान है, पगड़ी सच में महानता की पहचान है, एक दिन पगड़ी का दिमाग- सातवें
Read More“दोहा मुक्तक” आँसू सूखे नभ गगन, धरती है बेचैन कब ले आएगा पवन, मेरी रातें चैन खिलूंगी मैं पोर पोर,
Read More“कर प्रण सपथ” कर प्रण कर प्रण कर प्रण करप्रण सपथ हर बेटा माँ भारती का चलता उसके पथ वह
Read Moreअपनी उम्र के कुछ बूढ़े — पक्के बाल से , कमर झुकी सी , शब्द कंपकपाते हुऐ से , इस
Read Moreमिले राहे इश्क मे जो हमराही हमें । उनकी नजरों मे इश्क आज भी है । देखकर उनको जाने क्यों
Read Moreअब के आबे जब होली पिया ऐसो रंग लगइयों पिया तन मन भीजो दियो प्रीत के रंग में डूबो दियो
Read Moreविचारों का द्वन्द तो सनातन सत्य है मगर जिस भूमि में लिया है जन्म पले – बढ़े हो जिसके अन्न
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