कवितापद्य साहित्य

भारत माता की जय बोलो

भारत माता की जय बोलो
मन की अपनी गांठे खोलो.भारत माता की जय बोलो
जब जब हमने उसे पुकारा,
माँ के जैसा दिया सहारा
हम सब उसके बालक जैसे
धर्म तराजू में मत तोलो. भारत माता की जय बोलो
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
आपस में सब भाई भाई
माता सबको आश्रय देती
खाना देती मुख तो खोलो. भारत माता की जय बोलो
मेरे देश के प्यारों आओ
भारत माता की जय बोलो.
भारत माता ग्राम वासिनी
कवियों ने बतलाया है
सस्य श्यामला पुलकित यामिनी
सबको यह समझाया है
सदियों से यह खिला रही है
घर आँगन के पट तो खोलो, भारत माता की जय बोलो
इसने जन्म दिया, ऋषियों को
वीरों की यह धरती है
चाहे जख्म इसे दो जितना
पेट सभी का भरती है
जर्जर होकर तुझे जगाती
मत सोओ अब ऑंखें खोलो, भारत माता की जय बोलो
सियाचीन की सीमा पर
वीर सिपाही घायल होते
कभी कभी थक सो जाते वे
दुघ्ध धवल माँ आँचल पाते
रहें सुरक्षित हर पल हम सब
अपने ही घर आँगन में
टी वी पर प्रोग्राम देखते
लगते जो मन भावन है
कठिन समय में उठकर देखो
अपने मुख को जोर से खोलो, भारत माता की जय बोलो
कुछ लोगों को दिक्कत होगी
मन में उनको सिद्दत होगी
मांझी नाव चलाता जाता
लहरों में बलखाता जाता
अपनी धरती सबको प्यारी,
फूलों से सजती है क्यारी
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
मुक्त हवा में सभी हिले हैं
माँ का आँचल सबको प्यारा
बेटे को दे सदा सहारा
माँ तो बस वो माँ होती है
गीले बिस्तर पर सोती है
उस माँ के भी गले मिलो जी
प्रेम के मीठे बोली बोलो भारत माता की जय बोलो
राम रहीम खुदा के बन्दे
क्यों हो जाते हम सब अंधे
शांति मार्ग ही सभी बताते
वही मार्ग जो जन्नत जाते
बैर भाव न पालो मन में
दया धर्म से सबको तोलो, भारत माता की जय बोलो

अब एक साथ
लेना हो गर बैंक से ऋण तो भारत माता की जय बोलो
नहीं चुकाने हो जब ऋण तो भारत माता की जय बोलो
करना हो नुक्सान किसी का भारत माता की जय बोलो
नारा नूतन देश भक्ति का भारत माता की जय बोलो
अगर पड़ोसी आँख दिखाए भारत माता की जय बोलो
अगर विरोधी मन न भाए भारत माता की जय बोलो
रण में कभी न पीठ दिखाएँ भारत माता की जय बोलो
वादा गर जो निभ न पाये भारत माता की जय बोलो
सपने में भी डर आ जाए भारत माता की जय बोलो
भारत माता की जय बोलो भारत माता की जय बोलो

4 thoughts on “भारत माता की जय बोलो

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    माँ तो बस वो माँ होती है

    गीले बिस्तर पर सोती है. इस में ही सब कुछ आ गिया .माँ इतनी अनमोल है कि हम बूड़े भी हो जाएँ ,फिर भी अपनी बूड़ी माँ से पियार करते हैं और उसे माँ कह कर ही अन्नंद लेते हैं .

    • आपका बहुत बहुत आभार आदरनीय भामरा साहब, आपने कविता के मर्म को छुआ …सादर!

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    जय हिन्द
    बेहद खुबसुरत रचना

    • उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया!

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