हास्य कविता
आधुनिक नारी आधुनिक नारी यह तो है सब पे भारी। कोई न पाए पार ऐसी इसमें होशियारी। जीवन इसका व्यस्त
Read Moreआधुनिक नारी आधुनिक नारी यह तो है सब पे भारी। कोई न पाए पार ऐसी इसमें होशियारी। जीवन इसका व्यस्त
Read Moreशादी के बाद की थी उसकी पहली होली देवर के दोस्तों ने चाही करनी ठिठोली तैयारी पूरी कर लगाये थे
Read Moreहोली की हुड़दंग बन्ना सा वन जमे बन ठन के बांधे मुरेठा केसरिया चीथड़े पोशाकें बदरंग चेहरे सतरंगी बनाए जोश
Read Moreक्या पता ये लम्हा आखिरी हो जो न फिर से आ पाय कभी क्या पता ये मुलाकात भी आखिरी हो
Read Moreशीर्षक शब्द -नदी/नदिया /दरिया /जलधारा आदि “दोहा मुक्तक” नदी सदी की वेदना, जल कीचड़ लपटाय कल बल छल की चाहना,
Read Moreईशोपनिषद- काव्यभावानुवाद ईशोपनिषद के प्रथम मन्त्र ..”ईशावास्यम इदं सर्वं यद्किंचित जगत्याम जगत |” ”तेन त्यक्तेन भुंजीथा मा गृध कस्यविद्धनम
Read Moreमाँ मैं जब बहुत छोटी सी थी तभी से मेरी माँ बूढ़ी सी हो रही थी और बीमार भी बहुत
Read Moreसर्वस्व चल रहे हैं जश्न आज है महिला दिवस आई है कोई नवक्रांति मन रहा कोई नव दिवस! सोसिअल मीडिया
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